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ranthambore national park |
भारत विविधता से भरपूर प्राकृतिक धरोहरों का देश है, और इसके वन्यजीव अभयारण्यों में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का विशेष स्थान है। राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित यह उद्यान भारत के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है। इसकी समृद्ध जैव विविधता, ऐतिहासिक किलों और आकर्षक परिदृश्य के कारण यह पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है।
📌 सामग्री सूची (Table of Contents)
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास अत्यंत रोचक और समृद्ध है। इसका नाम रणथंभौर किले से लिया गया है, जो इस जंगल के बीच स्थित है और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह किला 10वीं शताब्दी में चौहान वंश के शासकों द्वारा बनाया गया था। इसके बाद यह दिल्ली सल्तनत, मेवाड़ और मुगलों के नियंत्रण में रहा। 19वीं शताब्दी में इसे जयपुर रियासत के अंतर्गत कर दिया गया।
ब्रिटिश काल के दौरान, रणथंभौर क्षेत्र को शाही शिकारगाह के रूप में उपयोग किया जाता था। उस समय, यहाँ बाघों और अन्य जंगली जानवरों का बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता था। 1955 में भारत सरकार ने इसे 'सवाई माधोपुर गेम सैंक्चुअरी' घोषित किया, जिससे यहाँ के वन्यजीवों को संरक्षण मिला।
1973 में इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के अंतर्गत शामिल किया गया, जिससे बाघों की संख्या को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। 1980 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। 1991 में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल बढ़ाकर आस-पास के केलादेवी और सवाई मानसिंह अभयारण्यों को भी शामिल किया गया, जिससे इसका कुल क्षेत्रफल बढ़कर 1,334 वर्ग किलोमीटर हो गया।
भौगोलिक स्थिति और जलवायु
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के पूर्वी भाग में अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के संगम पर स्थित है। यह लगभग 1,334 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ का जलवायु अर्ध-शुष्क है, जिसमें गर्मियों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है| जबकि सर्दियों में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। मानसून के दौरान यहाँ अच्छी मात्रा में वर्षा होती है, जिससे वनस्पति हरी-भरी हो जाती है।
जैव विविधता
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बाघों के अलावा विभिन्न प्रकार के स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
1. स्तनधारी जीव
- बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर)
- तेंदुआ
- नीलगाय
- चिंकारा
- सांभर हिरण
- जंगली सूअर
- भेड़िया और लकड़बग्घा
2. पक्षी जीवन
रणथंभौर पक्षी प्रेमियों के लिए भी एक अद्भुत स्थान है। यहाँ लगभग 300 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- मोर
- उल्लू
- बाज
- सारस क्रेन
- किंगफिशर
- हॉर्नबिल
3. सरीसृप और अन्य जीव
- मगरमच्छ
- घड़ियाल
- विभिन्न प्रकार की सांप प्रजातियाँ
वनस्पति
रणथंभौर में मुख्यतः शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं। यहाँ बबूल, धोक, पीपल, बरगद, महुआ और अन्य प्रकार के पेड़ बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मानसून के दौरान यहाँ की हरियाली अत्यंत मनमोहक होती है।
रणथंभौर किला और ऐतिहासिक महत्व
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का सबसे प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षण रणथंभौर किला है, जो 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह किला एक समय में राजस्थान के राजाओं का प्रमुख गढ़ हुआ करता था। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है। किले से उद्यान का विहंगम दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है।
सफारी और पर्यटन
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी का आयोजन किया जाता है, जो पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है।
1. सफारी के प्रकार
- जीप सफारी: यह 6 सीटर वाहन होता है, जिसमें गाइड के साथ जंगल की सैर कराई जाती है।
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Gypsy Safari In Ranthambore National Park |
- कैन्टर सफारी: यह 20 सीटर वाहन होता है, जिसमें बड़े समूहों के लिए सफारी की सुविधा होती है।
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Canter Safari In Ranthambore National Park |
2. सफारी के समय
- गर्मियों में: सुबह 6:00 से 9:30 बजे और शाम 3:30 से 7:00 बजे
- सर्दियों में: सुबह 7:00 से 10:30 बजे और शाम 2:30 से 6:00 बजे
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का संरक्षण
वन्यजीव संरक्षण के लिए रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। वन्यजीव संरक्षण संगठनों और सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस जैव विविधता को सुरक्षित रखा जा सके।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का पता
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, सवाई माधोपुर, राजस्थान - 322001, भारत
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान तक पहुँचने के लिए कई परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं:
1. हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 180 किमी) है। यहाँ से टैक्सी या ट्रेन द्वारा रणथंभौर पहुँचा जा सकता है।2. रेल मार्ग: सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन रणथंभौर का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है, जो भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, जयपुर और कोटा से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से उद्यान तक टैक्सी या ऑटो-रिक्शा से जाया जा सकता है।
रणथंभौर में लोकप्रिय आकर्षण
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रमुख आकर्षण स्थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं:
- रणथंभौर किला: 10वीं शताब्दी में निर्मित यह ऐतिहासिक किला रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।
- त्रिनेत्र गणेश मंदिर: रणथंभौर किले के भीतर स्थित यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है और यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।
- सूर्य मंदिर और जोगी महल: जोगी महल एक सुंदर महल है जो पदम तालाब के किनारे स्थित है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता और शांति का प्रतीक है।
- पदम तालाब और मलिक तालाब: ये तालाब बाघों और अन्य वन्यजीवों को पानी पीते हुए देखने के लिए बेहतरीन स्थान हैं।
- कचिदा वैली: यह क्षेत्र तेंदुओं की अधिकता के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ सफारी के दौरान इनको देखने का अच्छा अवसर मिलता है।
- राजबाग खंडहर: प्राचीन खंडहर जो जंगल के बीच स्थित हैं और इतिहास व प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
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रणथंभौर घूमने का सबसे अच्छा समय
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून के बीच होता है। मौसम के अनुसार इसे तीन प्रमुख चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
1. सर्दी (अक्टूबर से फरवरी): यह सबसे अच्छा समय माना जाता है, क्योंकि मौसम सुहावना रहता है और जानवर खुले में ज्यादा दिखाई देते हैं। सुबह और शाम की सफारी विशेष रूप से आकर्षक होती है।अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान न केवल बाघों के लिए बल्कि समूचे वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी समृद्ध जैव विविधता, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य इसे विशेष बनाते हैं। पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन के संतुलन को बनाए रखते हुए हमें इस अद्वितीय धरोहर की रक्षा करनी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसकी सुंदरता और वन्यजीव संपदा का आनंद उठा सकें।
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