Ticker

6/recent/ticker-posts

रणथंभौर में बनेगा कैरेकल ब्रीडिंग सेंटर: दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की नई पहल

 

AI-Generated डिजिटल आर्ट: रणथंभौर के जंगल में छलांग लगाता दुर्लभ कैरेकल (सियागोश)।

राजस्थान सरकार ने रणथंभौर में कैरेकल ब्रीडिंग सेंटर स्थापित करने की घोषणा की है। इस निर्णय की घोषणा वित्त मंत्री दीया कुमारी ने राजस्थान विधानसभा में वर्ष 2025-26 के बजट सत्र के दौरान की। दुर्लभ प्रजाति सियागोस कैरेकल के संरक्षण के उद्देश्य से यह केंद्र स्थापित किया जाएगा।

📌 सामग्री सूची (Table of Contents)

    कैरेकल: एक दुर्लभ जंगली बिल्ली

    कैरेकल, जिसे सियागोश भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे दुर्लभ जंगली जानवरों में शामिल है। यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है और मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और मध्य एशिया के जंगलों में पाई जाती है। भारत में यह रणथंभौर और गुजरात के कच्छ क्षेत्र में देखने को मिलती है।

    रणथंभौर में 35 से अधिक कैरेकल

    वर्तमान में रणथंभौर में 35 से अधिक कैरेकल मौजूद हैं। यह मध्यम आकार की जंगली बिल्ली होती है, जिसकी ऊंची छलांग लगाने की क्षमता अद्वितीय होती है। यह 11 फीट तक ऊंची छलांग लगाकर शिकार पकड़ सकती है और पेड़ों पर चढ़कर भी शिकार करने में सक्षम होती है।

    कैरेकल खोजने के लिए चला था विशेष अभियान

    साल 2020 में रणथंभौर में वन विभाग द्वारा सियागोश की उपस्थिति का पता लगाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया था। इसके तहत 215 स्थानों पर फोटो ट्रैप कैमरे लगाए गए थे, जिससे इस दुर्लभ प्रजाति की उपस्थिति की पुष्टि हुई। इसके बाद से ही कैरेकल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाने लगे।

    रणथंभौर कैरेकल ब्रीडिंग सेंटर की योजना

    करीब डेढ़ साल पहले वन विभाग ने रणथंभौर में कैरेकल संरक्षण के लिए एक प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा था। इस योजना के तहत 5 से 10 कैरेकल की ब्रीडिंग कर उनकी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य था, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह योजना अधर में लटकी रही। अब सरकार की बजट घोषणा के बाद इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू होने की उम्मीद है।

    कैरेकल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

    रणथंभौर में कैरेकल ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना से इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण को बल मिलेगा। इसके अलावा, यह सेंटर रणथंभौर को वैश्विक स्तर पर एक और महत्वपूर्ण जैव विविधता केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए भी यह केंद्र आकर्षण का केंद्र बनेगा।