राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश का मामला सामने आया है। आरोपी, रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फलोदी रेंज में तैनात वनपाल, पर गंभीर आरोप लगे हैं। घटना के बाद लड़की ने खुद को बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी, जिससे उसकी जान तो बच गई, लेकिन हालत बेहद नाजुक हो गई। आरोपी को भी ग्रामीणों ने पीट-पीटकर अस्पताल पहुंचा दिया।
घटना का विवरण
घटना सोमवार सुबह लगभग 11 बजे की है। पीड़िता जंगल क्षेत्र में किसी निजी काम से गई थी, जहां तैनात वनपाल मुकेश गुर्जर ने उसके साथ कथित तौर पर जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने शोर मचाया और खुद को बचाने के लिए कुएं में कूद गई।
लड़की की चीख-पुकार सुनकर उसके परिजन और ग्रामीण मौके पर पहुंचे। उन्होंने लड़की को बाहर निकाला और तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया। उसकी हालत गंभीर होने के कारण उसे जयपुर रेफर कर दिया गया है।
ग्रामीणों का गुस्सा, आरोपी की पिटाई
घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोपी वनपाल को पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई कर दी। उसे भी गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर जयपुर रेफर किया गया। अभी तक आरोपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान या शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
कानूनी कार्रवाई
पीड़िता के परिजनों ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act), भारतीय दंड संहिता (IPC) की बलात्कार संबंधी धाराओं, और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है। थाना अधिकारी हरिमन मीणा ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस आरोपी के बयान और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इसी दिन राज्य के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा एक अन्य दुर्घटना में घायल व्यक्ति से मिलने जिला अस्पताल पहुंचे थे। वहीं उन्हें आरोपी वनपाल के घायल होने की जानकारी दी गई। उन्होंने आरोपी से भी मुलाकात की और हालचाल जाना। आरोपी की पत्नी ने मंत्री से आरोप लगाया कि ग्रामीणों ने उसके पति को बुरी तरह मारा है।
वन विभाग की चुप्पी
पूरे मामले में अभी तक वन विभाग की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विभाग की चुप्पी से लोगों में नाराजगी और सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या विभाग अपने ही कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई से बचना चाह रहा है।
क्या है पॉक्सो एक्ट?
POCSO (Protection of Children from Sexual Offences Act), 2012 में लागू हुआ एक विशेष कानून है जो 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन अपराधों से सुरक्षा देता है। इस कानून के तहत पीड़ित की पहचान को गुप्त रखा जाता है, और विशेष अदालतों में मामलों की सुनवाई होती है। इसमें फिजिकल ही नहीं, ऑनलाइन उत्पीड़न और मानसिक शोषण को भी गंभीर अपराध माना गया है।
समाज में चर्चा का विषय
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि सरकारी विभागों के आचरण पर भी बहस छेड़ रही है। एक तरफ जहां लोगों की त्वरित प्रतिक्रिया ने पीड़िता को बचा लिया, वहीं दूसरी ओर विभागीय मौन और आरोपी की स्थिति को लेकर प्रशासनिक रवैये पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।