संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा 2024 के परिणामों में सवाई माधोपुर जिले के बामनवास और गंगापुरसिटी क्षेत्र के पाँच युवाओं ने सफलता हासिल कर जिले को गौरवान्वित किया है। इन सभी युवाओं ने अपनी सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत, निरंतर रिवीजन, करंट अफेयर्स की गहरी समझ और आत्मविश्वास को दिया है। आइए जानते हैं इन होनहारों की सफलता की कहानी:
478वीं रैंक – रौनक मीणा (गांव: शंकरपुरा, बामनवास)
सवाई माधोपुर जिले के बामनवास क्षेत्र के गांव शंकरपुरा निवासी रौनक मीणा ने यूपीएससी 2024 में 478वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। रौनक ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है। उनके पिता आशाराम मीणा गुजरात में कस्टम विभाग में अधिकारी हैं।
रौनक का मानना है कि कड़ी मेहनत और नियमित अभ्यास ही जीवन में स्थायी सफलता की कुंजी है। वे कहते हैं, “हर सफलता कुछ मांगती है। कई लोग जीवन में शॉर्टकट अपनाते हैं लेकिन उनकी सफलता भी शॉर्टकट ही होती है। यदि स्थायी और सच्ची सफलता चाहिए तो अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित होना पड़ता है।”
परीक्षा की तैयारी के दौरान रौनक ने हर दिन 18 से 20 घंटे तक पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने खुद को परिवार के उत्सवों और अन्य सामाजिक गतिविधियों से पूरी तरह दूर रखा, ताकि ध्यान पूरी तरह पढ़ाई पर केंद्रित रहे।
विषय चयन और तैयारी की रणनीति
रौनक का मानना है कि सिविल सेवा की परीक्षा में किसी एक विषय पर नहीं, बल्कि हर विषय पर समान रूप से ध्यान देना ज़रूरी होता है। प्रीलिम्स के लिए उन्होंने सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स पर विशेष ध्यान दिया।मेंस परीक्षा के लिए, उन्होंने विषयों की गहराई में जाकर कंसेप्ट क्लियर करने और विश्लेषणात्मक लेखन क्षमता विकसित करने पर काम किया।
रौनक ने बताया कि शुरुआत से ही उनका सपना सिविल सेवा में जाने का था। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर उन्होंने अपनी पढ़ाई की योजना बनाई और करंट अफेयर्स की नियमित तैयारी को अपनी आदत बना लिया।
536वीं रैंक – मोहित मंगल
मोहित मंगल ने यूपीएससी 2024 में 536वीं रैंक हासिल कर सफलता की एक प्रेरक मिसाल पेश की है। मोहित ने जयपुर स्थित एमएनआईटी (मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उनके पिता महेश गुप्ता एक ऑटो पार्ट्स व्यवसायी हैं।
मोहित ने 2019 में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद एक वर्ष तक एक मल्टीनेशनल कंपनी (MNC) में नौकरी की। लेकिन जल्द ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी का संकल्प लिया। पिछली बार वे इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी थी। इस बार की गई तैयारी और आत्मविश्लेषण के बल पर उन्होंने मंज़िल पा ही ली।
तैयारी की रणनीति और विषय चयन
मोहित का मानना है कि यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सबसे ज्यादा फोकस ऐच्छिक (optional) विषयों की तैयारी पर होना चाहिए। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी तैयारी की शुरुआत एनसीईआरटी की किताबों से की। इससे उन्हें पूरे सिलेबस की समग्र समझ मिली। इसके बाद उन्होंने विषय विशेषज्ञों की किताबें पढ़ीं, जिससे उनकी विषय पर पकड़ और भी मजबूत हो गई।
करंट अफेयर्स के लिए मोहित ने अखबारों के संपादकीय कॉलम को नियमित रूप से पढ़ा। उनका मानना है कि इससे न केवल लेखन शैली में सुधार होता है बल्कि इंटरव्यू में गंभीर और संतुलित विचार प्रस्तुत करने में भी मदद मिलती है।
रिवीजन का महत्व
सिलेबस पूरा होने के बाद मोहित ने कई बार रिवीजन किया। वे मानते हैं कि हर रिवीजन के साथ विषयों की समझ और पकड़ बेहतर होती जाती है। उनका फोकस केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि गहराई से समझने और दोहराने पर था, जिसने अंततः उन्हें सफलता दिलाई।
853वीं रैंक – नीरज मीणा (गांव: सिरसाली, बामनवास)
बामनवास क्षेत्र के गांव सिरसाली निवासी नीरज मीणा ने यूपीएससी 2024 में 853वीं रैंक हासिल की है। नीरज ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है। उनके पिता रामकेश मीणा, राजकोष विभाग (ट्रेजरी) में संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
नीरज ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवा में जाने का फैसला लिया। शुरुआती दो प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इस बार पहली बार इंटरव्यू तक पहुंचे और पहली बार में ही सफलता प्राप्त की।
तैयारी की रणनीति और विषय चयन
नीरज का मानना है कि यूपीएससी में सफलता के लिए ऑप्शनल विषयों (ऐच्छिक विषयों) पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने इन्हीं विषयों पर सबसे ज्यादा फोकस किया, जिससे उनकी पकड़ मजबूत हुई और आत्मविश्वास में भी इजाफा हुआ।
प्रीलिम्स की तैयारी के लिए उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों को सबसे बेहतर स्रोत माना। उनका कहना है कि इन किताबों ने उन्हें जीएस की मजबूत नींव दी।
करंट अफेयर्स के लिए उन्होंने रोजाना अखबार पढ़ना, अच्छे लेखकों के पॉडकास्ट सुनना, और समसामयिक मुद्दों पर विश्लेषण करना अपनी दिनचर्या में शामिल किया।
अनुशासन और समय प्रबंधन
नीरज के अनुसार, यूपीएससी की तैयारी केवल पढ़ाई नहीं बल्कि एक अनुशासित जीवनशैली की भी मांग करती है। उन्होंने खुद को प्रतिदिन 15 से 17 घंटे पढ़ाई के लिए समर्पित किया। वे कहते हैं, “अगर ये तय कर लिया कि रोज पढ़ना है, तो फिर चाहे जो भी हो, पढ़ना ही है।”
नीरज की यह लगन, अनुशासन और विश्लेषणात्मक सोच उन्हें सफलता के शिखर तक ले गई।
879वीं रैंक – अभिषेक मीणा (अलवर निवासी, मूल संबंध सवाई माधोपुर से)
सवाई माधोपुर के जिला परिवहन अधिकारी पी.आर. मीणा के बेटे अभिषेक मीणा ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास कर 879वीं रैंक हासिल की है। मूल रूप से अलवर जिले के निवासी अभिषेक की इस उपलब्धि से परिवार ही नहीं, पूरा क्षेत्र गौरवान्वित हुआ है।
अभिषेक की मां सुनीता मीणा सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय रही हैं। वे राजगढ़ से विधायक चुनाव लड़ चुकी हैं, साथ ही जिला परिषद सदस्य और राजगढ़ पंचायत समिति सदस्य भी रह चुकी हैं।
शिक्षा और पृष्ठभूमि
अभिषेक ने अपनी शुरुआती शिक्षा कक्षा 1 से 10वीं तक राजगढ़ (अलवर) के सरकारी स्कूल में प्राप्त की। इसके बाद 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई सेंट एंसलम स्कूल, अलवर से पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी दिल्ली से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
तैयारी की रणनीति
यूपीएससी की तैयारी के लिए अभिषेक ने एक नियत और अनुशासित रूटीन अपनाया। उन्होंने बताया कि वे रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई करते थे, लेकिन परीक्षा नजदीक आने पर यह समय बढ़कर 15 से 16 घंटे तक हो गया। यदि किसी दिन किसी कारणवश पढ़ाई छूट जाती, तो अगले दिन अतिरिक्त समय देकर उस नुकसान की भरपाई करते।
विषय चयन और अध्ययन का तरीका
अभिषेक का ऐच्छिक विषय रसायन शास्त्र (Chemistry) था, जिस पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया। उनका मानना है कि विषय की गहराई में जाकर पढ़ने और बार-बार दोहराने से आत्मविश्वास बढ़ता है और उत्तर लेखन में स्पष्टता आती है।
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय नियमित अध्ययन, समय प्रबंधन और आत्म-विश्लेषण को दिया। अभिषेक का मानना है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
953वीं रैंक – राजकेश मीणा
राजकेश मीणा ने यूपीएससी 2024 में 953वीं रैंक हासिल कर एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। वर्तमान में वे दिल्ली में एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे, लेकिन उनका सपना शुरू से ही सिविल सेवा में जाने का था। इसी उद्देश्य से उन्होंने नौकरी के साथ-साथ सिविल सेवा की तैयारी जारी रखी और तीसरे प्रयास में सफलता अर्जित की।
उनके पिता ऋषिकेश मीणा एक किसान हैं। राजकेश की यह सफलता मेहनत, अनुशासन और ठोस रणनीति का परिणाम है।
तैयारी की रणनीति और विषय चयन
राजकेश ने अपनी तैयारी को चरणबद्ध तरीके से विभाजित किया। प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स) के लिए उन्होंने सामान्य ज्ञान (GK), करंट अफेयर्स, इतिहास और भूगोल पर विशेष ध्यान दिया। उनका कहना है कि इन विषयों की मजबूत नींव ने प्री की तैयारी में बड़ी मदद की।
प्रीलिम्स के साथ ही उन्होंने मेन्स की तैयारी भी समानांतर रूप से शुरू कर दी थी। उनका मानना है कि अगर प्री क्लियर होने का आत्मविश्वास है, तो समय बचाने के लिए मेन्स की तैयारी भी साथ-साथ करनी चाहिए। यह रणनीति उन्हें अंत में बहुत काम आई।
मेन्स परीक्षा के लिए उन्होंने ऑप्शनल विषयों पर गहराई से फोकस किया। विषयों को सिर्फ रटने की बजाय, उनकी गहराई को समझने की कोशिश की। इससे न केवल उत्तरों की गुणवत्ता बेहतर हुई बल्कि इंटरव्यू में भी यह सोच साफ़ तौर पर झलकी।
रिवीजन और आत्मविश्वास
राजकेश का मानना है कि तैयारी का सबसे अहम हिस्सा रिवीजन होता है। उन्होंने हर टॉपिक को कई बार दोहराया, जिससे विषयों पर पकड़ मजबूत होती गई। उन्होंने कहा कि सिलेबस को छोटे-छोटे भागों में बाँटकर हर दिन का टारगेट बनाया और उसे समय पर पूरा किया।
इंटरव्यू की तैयारी के लिए उन्होंने फिर से करंट अफेयर्स को गहराई से पढ़ा, जिससे वे समसामयिक मुद्दों पर आत्मविश्वास के साथ जवाब दे सके।
राजकेश की यह यात्रा यह साबित करती है कि लक्ष्य स्पष्ट हो, रणनीति ठोस हो, और मेहनत ईमानदार हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
सभी सफल युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी अखबार और निरंतरता
इन सभी होनहार युवाओं की सफलता में अखबार और करंट अफेयर्स की जानकारी का बड़ा योगदान रहा। नियमित रिवीजन, सीमित स्रोतों से गहन अध्ययन, आत्मविश्वास और अनुशासन इनकी तैयारी की रीढ़ बने।
इन छात्रों ने बताया कि सोशल मीडिया से दूरी बनाकर वे पूरी तरह पढ़ाई पर केंद्रित रहे और हर दिन के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास किया।
यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में जिले के छह युवाओं ने जो अनुशासन, समर्पण और निरंतर प्रयास दिखाया, वह समस्त सवाई माधोपुर और राजस्थान के युवाओं के लिए एक मिसाल है। ग्रामीण परिवेश से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा में चयनित होना यह साबित करता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत के आगे कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।